दशहरा मायसूर विश्व प्रसिद्ध दशहरा भारत का सबसे भव्य उत्सव है, जो नवरात्रि के नौ दिनों और विजयदशमी के दिन शौर्य, विजय और संस्कृति का प्रतीक बनकर मनाया जाता है। जानिए इसका इतिहास, महत्व और आकर्षण।

दशहरा मायसूर विश्व प्रसिद्ध दशहरा – शौर्य और विजय का प्रतीक
भारत त्योहारों की भूमि है, जहां हर पर्व के पीछे गहरी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर छिपी है। उन्हीं पर्वों में से एक है दशहरा मायसूर विश्व प्रसिद्ध दशहरा, जिसे नवरात्रि के नौ दिनों और विजयदशमी के अंतिम दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वीरता, संस्कृति और कला का भी प्रतीक है।
इतिहास और धार्मिक महत्व
दशहरा का संबंध भगवान राम की उस ऐतिहासिक विजय से है जब उन्होंने रावण का वध कर धर्म की स्थापना की थी। इसी दिन मां दुर्गा ने भी महिषासुर नामक राक्षस का संहार किया था।
मायसूर में यह उत्सव विशेष रूप से मां चामुंडेश्वरी को समर्पित है। कर्नाटक के राजवंशों ने इसे अपनी शक्ति और धर्म रक्षा के प्रतीक के रूप में मनाना शुरू किया। यही कारण है कि इसे “मायसूर दशहरा” या “नाडाहब्बा” (राज्य पर्व) कहा जाता है।
मायसूर दशहरा की भव्यता
दशहरा मायसूर विश्व प्रसिद्ध दशहरा पूरे दस दिन तक चलता है।
- पहले नौ दिन नवरात्रि के रूप में देवी पूजा, संगीत, नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से जुड़े होते हैं।
- अंतिम दिन विजयदशमी पर विशाल जुलूस निकलता है, जिसे देखने देश-विदेश से हजारों पर्यटक आते हैं।
मुख्य आकर्षण
- मायसूर पैलेस की रोशनी – विजयदशमी पर राजमहल को लाखों बल्बों से सजाया जाता है, जो रात में अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है।
- जम्बो सवारी – विजयदशमी के दिन सजे-धजे हाथी, घोड़े और ऊँटों के साथ निकलने वाला यह जुलूस दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है।
- मुख्य हाथी पर मां चामुंडेश्वरी की स्वर्ण मूर्ति रखी जाती है।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम – शास्त्रीय नृत्य, लोक नृत्य, नाटक और संगीत की प्रस्तुतियां इस त्योहार को और भी खास बनाती हैं।
- दर्शन और पर्यटन – इस दौरान मायसूर शहर का हर कोना सज-धज जाता है। होटल, सड़कें और बाजार पर्यटकों से गुलजार हो जाते हैं।
आर्थिक और सामाजिक महत्व
यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
- पर्यटन को बढ़ावा मिलता है।
- स्थानीय कलाकारों, शिल्पकारों और व्यापारियों के लिए यह सुनहरा अवसर होता है।
- सांस्कृतिक एकता और सामाजिक मेल-जोल भी इसी बहाने मजबूत होते हैं।
अंतरराष्ट्रीय ख्याति
आज दशहरा मायसूर विश्व प्रसिद्ध दशहरा केवल भारत तक सीमित नहीं है। यह उत्सव अपनी शाही परंपरा, सांस्कृतिक समृद्धि और अद्भुत आकर्षण के कारण अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुका है।
यूनेस्को और विभिन्न विदेशी मीडिया हाउस भी इसकी भव्यता को विशेष स्थान देते हैं। यही कारण है कि इसे देखने हर साल हज़ारों विदेशी पर्यटक मायसूर पहुँचते हैं।
निष्कर्ष
दशहरा मायसूर विश्व प्रसिद्ध दशहरा केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, धर्म, शौर्य और विजय का जीवंत प्रतीक है। यह पर्व हमें सिखाता है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अंततः अच्छाई की ही जीत होती है।
अगर आप भारत की विविधता और भव्यता को नज़दीक से देखना चाहते हैं तो मायसूर दशहरा का अनुभव जीवनभर की अविस्मरणीय स्मृति बन सकता है।
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